सौरभ तिवारी/बिलासपुर. कहते हैं की जज्बा हो तो इंसान कुछ भी कर सकता है. ऐसे ही जज्बे की एक मिसाल है बिलासपुर की स्वाति. सड़क दुर्घटना में हाथ गंवाने के बाद भी स्वाति ने हार नहीं मानी और कराटे की खिलाड़ी बनकर उसने कई मेडल अपने नाम किए. स्वाति साहू कराटे, ताइक्वांडो और मार्शल आर्ट की पैरा खिलाड़ी हैं.
स्वाति की जिन्दगी में बड़ा मोड़ तब आया जब 2016 में एक्सीडेंट में स्वाति ने अपना एक हाथ खो दिया. इसके बाद भी स्वाति ने हार नहीं मानी, उसने जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए स्पोर्ट्स का रास्ता चुना. आज कहानी ऐसी है की स्वाति पैरा खिलाड़ी श्रेणी के मार्शल आर्ट टूर्नामेंट और ताइक्वांडो टूर्नामेंट की विनर है. वह इनमें गोल्ड मेडल जीत चुकी है, इसके अलावा स्वाति कराटे में ब्लैक बेल्ट भी है.
कुल 18 मेडल जीते
15 साल की उम्र में अपने छोटे से करियर में स्वाति अब तक कुल 18 मेडल जीत चुकी है. आगे जाकर स्वाति का सपना है कि वह देश के लिए ओलंपिक में मेडल लाए. हालांकि, अभी हाल ऐसा है कि वह अपने डाइट और इक्विपमेंट्स का भी बंदोबस्त बड़ी मुश्किल से कर पा रही है.
3 साल के करियर में खेले 11 नेशनल्स
स्वाति कराटे, फेंसिंग और मार्शल आर्ट के अब तक 11 नेशनल्स खेल चुकी है. इन 11 नेशनल्स में अब तक कुल 18 मेडल जीत चुकी है. इन मेडल्स में 8 स्वर्ण पदक, 1 रजत पदक और 9 कांस्य पदक शामिल हैं. स्वाति आगे जाकर ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करना चाहती है.
पेंटर हैं पिता
स्वाति के पिता पेंटर का काम करते हैं. घर खर्च चलाने में भी तकलीफ होती है, मगर चाहते हैं कि उनकी बेटी बड़ा नाम कमाए और पूरे परिवार का नाम रौशन करे. जिसके लिए वो अपने लिमिटेड कमाई में से भी अपनी बेटी के खेल को पूरा समर्थन देते हैं.
सरकार से कोई सहायता नहीं
राज्य सरकार की ओर से खिलाड़ियों को कोई आर्थिक सहायता नहीं दी जा रही है. खिलाड़ियों को मिलने वाले डाइट का पैसा भी उन्हें नहीं मिल रहा है, अपने निजी खर्च से ही उन्हें ट्रेनिंग करना पड़ रहा है.
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FIRST PUBLISHED : April 22, 2023, 21:54 IST