अनूप पासवान /कोरबा. छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में वायु प्रदूषण खतरनाक होता जा रहा है. स्थिति यह है कि अस्थमा के 5 नये मरीज रोजाना जिले में सामने आ रहे हैं. प्रदूषण की बात करें तो हालत यह है कि कोरबा की हवा की तुलना दिल्ली की हवा से हो रही है. लगभग उतनी ही प्रदूषित हवा कोरबा में भी है, हालांकि इसके कारण अलग हैं. पिछले करीब सात महीनों से एक्यूआई और पीएम के आंकड़े चिंताजनक बने हुए हैं.
प्रदूषण के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था एनवायरनिक्स ट्रस्ट ने दिल्ली और कोरबा के प्रदूषण का अध्ययन कियाए जिसमें संस्था ने यह पाया कि कोरबा और दिल्ली में पार्टिकुलैट मैटर (PM) का स्तर एक जैसा है, जिसका असर यहां के लोगों की सेहत पर पड़ रहा है. कोरबा का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) लगातार बिगड़ रहा हैए जिससे यहां के जनजीवन पर भी काफी बुरा असर पड़ रहा है. लगातार दमा के मरीज भी कोरबा जिले में बढ़ रहे हैं.
कोयला खदानों और बिजली उत्पादन के कारण कोरबा को प्रदेश की ऊर्जाधानी कहा जाता है. कोरबा के प्रदूषण पर चर्चा करने के पहले यहां के पर्यावरणीय परिदृश्य को जान लेना भी जरूरी है. कोरबा जिले में कोयले पर आधारित दर्जन भर पावर प्लांट हैं, जिनसे लगातार बिजली का उत्पादन हो रहा है. पावर प्लांटों से 8400 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है.
बिजली संयंत्रों को कोल इंडिया की सबसे बड़ी कंपनी साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड (एसईसीएल) की खदानों से कोयला सप्लाई किया जाता है, जिसकी 14 कोयला खदानें जिले में संचालित हैं. इनसे 1250 लाख टन कोयले का उत्पादन हो रहा है.
इस संबंध में छाती रोग विशेषज्ञ डॉक्टर शशिकांत भास्कर ने बताया कि लोग प्रदूषण से बचे रहेंगे, तब ही स्वस्थ रह पाएंगे. लोगों को स्वयं को बचाने के लिए प्रदूषण से निपटने के कारगर उपाय करने चाहिए. घरों से निकलने पर मास्क जरूर लगाना चाहिए. स्वस्थ रहने के लिए हेल्दी डाइट को अपनाएं. रोज की दिनचर्या में योग और एक्सरसाइज को शामिल कर लें.
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FIRST PUBLISHED : May 04, 2023, 14:47 IST