दुर्ग. दुर्ग जिले के ग्राम बोरीगारका में रहने वाला हर शख्स स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहा था और उसका सीना गर्व से चौड़ा हो गया. दरअसल इस गांव में रहने वाली हिशा बघेल छत्तीसगढ़ की पहली महिला अग्निवीर बनी है. जब हिषा अपनी ट्रेनिंग पूरी कर ली और अपने ग्राम बोरिगारका पहुंची तो पूरा का पूरा गांव अपनी बेटी के स्वागत में उमड़ पड़ा. दुर्ग रेलवे स्टेशन से गांव तक होंगार हिषा का जोरदार स्वागत किया गया.
सभी ने अपने-अपने तरीके से हिषा का स्वागत किया. किसी ने पुष्प वर्षा की तो किसी ने आरती उतारकर हिषा का अभिनंदन किया. घंटों तक यह दौर चलता रहा लेकिन यह खुशी तब मातम में बदल गई जब हिषा के घर पहुंचते ही उसे यह पता चला की उसके पिता संतोष बघेल इस दुनिया में नहीं रहे. दुखों का पहाड़ टूटने के बावजूद हिषा ने स्वयं को संबल प्रदान करते हुए उन्हें सैल्यूट कर श्रद्धांजलि दी, वही मां ने आरती उतारकर उसका अभिनंदन किया.
दरअसल हिषा के पिता की अंतिम ख्वाहिश थी कि बेटी के गांव पहुंचने पर उसका रोड शो निकलकर उसका स्वागत किया जाये. उनके नहीं रहने के बावजूद ठीक वैसा ही स्वागत हिशा का किया गया जैसा कि उनके पिता की अंतिम ख्वाहिश थी. 6 महीने की कठिन ट्रेनिंग के बाद पहली बार हिषा अपने गांव पहुंची. इससे वो काफी खुश भी नजर आई.
हिषा के पिता कैंसर से जूझ रहे थे. हिषा जब अपनी ट्रेनिंग कर रही थी उसी दौरान वो दुनिया को अलविदा कह चुके थे लेकिन भविष्य को देखते हुए यह खबर हिषा के घरवालों ने उसे नहीं बताई थी. बोरीगारका की हिषा बघेल ने अग्निवीर भर्ती के लिए कठिन परिश्रम किया था. अब ये एक मिसाल के रूप में पहचानी जाती है. गांव के शासकीय स्कूल से शिक्षा प्राप्त करने के बाद हिषा उतई महाविद्यालय में पहुंचकर सबसे पहले एनसीसी कैडेट बनी इसके बाद हिषा देश की सुरक्षा का प्रण लेकर सेना में जाने के लिए अपनी तैयारियां शुरू कर दी थीं.
हिषा गांव के ही मैदान में लड़की होने के बावजूद गांव के युवाओं के साथ अकेले दौड़ने का अभ्यास शुरू की और इसके बाद जैसे ही सितंबर 2022 को नौसेना में अग्निवीर योजना के तहत भर्ती के आवेदन की तो उसके फिटनेस के देखते हुए अधिकारियों ने हिषा का चयन मंजूर कर लिया. उसका परिवार आर्थिक रूप से कमजोर था इसके बाद भी हिषा के पिता संतोष बघेल ने अपने बच्चों की पढ़ाई में कोई कसर नहीं छोड़ी.
हिषा के पिता पिछले 12 सालो से कैंसर जैसी बीमारी से जूझ रहे थे. इलाज और बच्चों की पढ़ाई के लिए परिवार की जमीन और अपने जीवन-यापन करने वाले एक मात्र सहारा ऑटो तक को भी बेच दिया ताकि अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दे सकें. वहीं हिषा अपनी ट्यूशन की फीस देने के लिए खुद घर में ट्यूशन पढ़ाती थी. हिषा अब अग्निवीर तो बन गई है लेकिन इस रूप में देखने वाले उसके पिता अब इस दुनिया में नहीं है.
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Tags: Agniveer, Chhattisgarh news, Durg news
FIRST PUBLISHED : April 18, 2023, 19:35 IST