कोरबा8 मिनट पहले
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यात्री ट्रेनों को विलंब से चलाकर भी रेल प्रशासन अपनी आय कम नहीं होने दे रहा है। 3-4 घंटा देरी से चलना सामान्य बात हो गई है। इतना विलंब से होने वाली परेशान को यात्री स्वीकार भी कर लेते हैं। कभी-कभी तो यही गाड़ियां 6 से 12 घंटा तक विलंब हो जा रही हैं, और यात्री अपनी यात्रा रद्द करने तैयार हो जाते हैं, लेकिन वे चाहकर भी ऐसा नहीं कर पाते हंै। रेलवे प्रशासन के री-शेड्यूल की अवधि में वे फंस जाते हैं। वे जानते हैं कि अगर अपनी यात्रा रद्द करते हैं तो उन्हें टिकट का पूरा पैसा रेलवे नहीं देगा।
रेलवे भी री-शेड्यूल का ऐसे समय तय करता है, जिसमें यात्रा शुरू भी नहीं हो पाती है और यात्री विवश हाेकर अपनी ट्रेन का इंतजार करते रहते हैं। अधिकारी भी इस मामले में कोई जवाब देने से बचना चाहते हैं। इस संबंध में दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे बिलासपुर के वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक विकास कश्यप व सीपीआरओ साकेत रंजन से जानकारी लेने का प्रयाया किया गया तो उनकी ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया।
रेलवे भी री-शेड्यूल का ऐसे समय तय करता है, जिसमें यात्रा शुरू भी नहीं हो पाती है और यात्री विवश हाेकर अपनी ट्रेन का इंतजार करते रहते हैं। अधिकारी भी इस मामले में कोई जवाब देने से बचना चाहते हैं। इस संबंध में दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे बिलासपुर के वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक विकास कश्यप व सीपीआरओ साकेत रंजन से जानकारी लेने का प्रयाया किया गया तो उनकी ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया।
यात्रा रद्द कर पूरा रिफंड पाने का है प्रावधान
रेलवे की शर्तों के अनुसार कोई भी यात्री अपनी यात्रा रद्द कर टिकट का पूरा पैसा वापस प्राप्त कर सकता है। लेकिन इसके लिए यह तय होना चाहिए कि उनकी ट्रेन 3 घंटा से अधिक विलंब से चल रही हो। इसमें भी अगर रेलवे द्वारा ट्रेन को री-शेड्यूल कर दिया जाता है (रवाना होने के निर्धारित समय को बढ़ाने पर) तो उक्त री-शेड्यूल की गई अवधि के बाद होने वाले और 3 घंटे विलंब के बाद भी यात्री टिकट रद्द करा कर पूरा रिफंड प्राप्त कर सकेगा।
त्रिवेंद्रम और वैनगंगा के यात्रियों के साथ यही होता है
कभी 3 घंटा तो कभी 10 घंटा विलंब रहती हैं, लेकिन इन ट्रेनों को 3 से 5 घंटा तक ही री-शेड्यूल किया गया। बीते रविवार को वैनगंगा के यात्रियों के साथ यही स्थिति निर्मित हुई। विलंब के कारण जिस समय वे पहुंचना चाहते हैं उस समय नहीं पहुंचने से उनकी यात्रा सार्थक नहीं हो पाती है। ऐसे यात्री अपनी यात्रा रद्द करने के पक्षधर होते हैं, लेकिन री-शेड्यूल के कारण उलझ जाते हैं। अगर वे रद्द करते भी हैं तो उन्हें पूरा रिफंड रेलवे से नहीं मिलता है।
त्रिवेंद्रम और वैनगंगा के यात्रियों के साथ यही होता है
कभी 3 घंटा तो कभी 10 घंटा विलंब रहती हैं, लेकिन इन ट्रेनों को 3 से 5 घंटा तक ही री-शेड्यूल किया गया। बीते रविवार को वैनगंगा के यात्रियों के साथ यही स्थिति निर्मित हुई। विलंब के कारण जिस समय वे पहुंचना चाहते हैं उस समय नहीं पहुंचने से उनकी यात्रा सार्थक नहीं हो पाती है। ऐसे यात्री अपनी यात्रा रद्द करने के पक्षधर होते हैं, लेकिन री-शेड्यूल के कारण उलझ जाते हैं। अगर वे रद्द करते भी हैं तो उन्हें पूरा रिफंड रेलवे से नहीं मिलता है।