छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट
– फोटो : Social media
विस्तार
छत्तीसगढ़ में सहायक प्राध्यापकों की तीन वर्ष के प्रोबेशन पीरियड और इस दौरान वेतन की जगह स्टाइपेंड देने के नियम को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। प्रकरण पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने गुरुवार को याचिका को स्वीकार कर ली। साथ ही राज्य शासन और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), पीएससी व अन्य को नोटिस जारी किया है। इनसे चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया है। मामले की सुनवाई जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस संजय जायसवाल की डिवीजन बेंच में हुई।
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता रोहित शर्मा ने पैरवी करते हुए कोर्ट के समक्ष तर्क रखा कि संविधान के 42 वें संशोधन द्वारा शिक्षा को राज्य की समवर्ती सूची में 1977 से शामिल कर दिया गया है। इसलिए उक्त विषयों पर अगर भारतीय संसद की ओर से कोई नियम बनाया जाता है, तो ऐसा नियम राज्य की विधानसभा द्वारा बनाए गए नियम एवं उनके अधीन बनाए गए अधिनियम पर भी लागू होते हैं। याचिका में यह भी बताया गया कि यूजीसी उच्च शिक्षा के लिए विभिन्न विनियमन बनाता और उनको लागू करता है।
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि, यूजीसी के विनियमन राज्य के ऊपर बंधनकारी हैं। केंद्र और यूजीसी ने सहायक प्राध्यापकों के लिए वेतन का प्रावधान किया है। इसलिए छत्तीसगढ़ में उनकी नियुक्ति के बाद तीन साल की प्रोबेशन अवधि और वेतन की जगह 70 से 90 प्रतिशत तक स्टाइपेंड दिए जाने का प्रावधान सहायक प्राध्यापकों पर लागू नहीं हो सकता। हाईकोर्ट ने इसके बाद इसे लेकर चर सप्ताह के भीतर जवाब प्रस्तुत करने के लिए प्रतिवादियों को निर्देशित किया है।