रमन सिंह, सीएम भूपेश बघेल
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झीरम कांड पर बीजेपी और कांग्रेस में गुरुवार को दिनभर राजनीति गरमाई रही। सीएम भूपेश के बयान पर पलटवार करते हुए छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने कहा कि झीरम घाटी की जांच तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार के समय एनआईए के हाथ में सौंपी गई थी। उन्होंने 1500 पृष्ठ की चार्जशीट भी साल 2014 में दाखिल की।
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने भी जांच आगे बढ़ाने के लिए जस्टिस प्रशांत मिश्र की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग का गठन किया, जिसकी रिपोर्ट राजभवन को 2021 में सौंप दी गई थी, लेकिन सरकार को उक्त रिपोर्ट पर भी भरोसा नहीं है, इसलिए जस्टिस सतीश अग्निहोत्री की अध्यक्षता में न्यायिक जांच का विस्तार हुआ था। इस आयोग का कार्यकाल भी छह-छह महीने कर बढ़ाया जा रहा है, लेकिन आज तक कांग्रेस किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाई है।
‘सीएम भूपेश कर रहे राजनीति’
रमन ने कहा कि जब एनआईए ने 1500 पन्नों की चार्जशीट दाखिल कर दी तो, इसका सहारा लेकर जांच करने के बजाय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राजनीति करने में लगे हैं। असल में उन्हें जांच से नहीं है, केवल राजनीति करने से मतलब है। नए संसद भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से करने को लेकर सीएम के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस जिस प्रकार की राजनीति कर रही है, वो उनकी छोटी मानसिकता का प्रतीक है। कांग्रेस से भारत का बढ़ता विकास और गौरव देखा नहीं जा रहा है, इसीलिए वह विलाप करके इस शुभ अवसर को बाधित करना चाह रहे हैं।
‘कांग्रेस की दोहरी मानसिकता’
नए विधानसभा भवन को लेकर भूपेश सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस की दोहरी मानसिकता है। जब अटल नगर में निर्मित हो रहे नए विधानसभा भवन का भूमि पूजन हुआ, तब प्रदेश की तत्कालीन राज्यपाल भी आदिवासी समुदाय की अनुसुईया उइके थीं। उस समय में राज्यपाल के हाथों भूमिपूजन की जगह मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दिल्ली से राहुल गांधी और सोनिया गांधी को बुलवाकर नए विधानसभा का भूमि पूजन करवाया। यहां तक की शिलान्यास के पत्थर पर आदिवासी समुदाय की अनुसुइया उइके का नाम तक अंकित नहीं किया। यह कांग्रेस की दोहरी मानसिकता और ओछी राजनीति का प्रतीक है।
भाजपा को झीरम का सच सामने आने का सता रहा डर: मोहन मरकाम
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने झीरम कांड पर बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि जब तक गुनाहगारों को सजा नहीं मिलती कांग्रेस शांत नहीं बैठेगी। भाजपा जीरम का सच सामने आने नहीं दे रही है। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा डरती है जीरम का सच सामने आ जायेगा तो वह बेनकाब हो जायेगी। रमन सिंह से बड़ा क्रूर शासक आजाद भारत में आज तक नहीं हुआ। एक साथ विपक्ष के 31 नेताओं की हत्या हो गयी और तत्कालीन सरकार सच सामने आने देने से रोकने में पूरी ताकत लगा रखी थी। भाजपा के बड़े नेता जीरम की जांच को रोकने लगातार कोशिशें कर रहे उसमें साफ हो रहा जीरम के पीछे तत्कालीन भाजपा सरकार की भूमिका संदिग्ध है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि जिस प्रकार से घटना के बाद से ही भाजपा जीरम की जांच रोकने का षडयंत्र कर रही है। उससे यह बड़ा सवाल खड़ा हो रहा कि भाजपा जीरम की जांच क्यों नहीं होने देना चाहती? ऐसा क्या डर है जो बार-बार जीरम की जांच में भाजपा के तरफ से अड़ंगे लगाये जाते है। सीबीआई की जांच नहीं होने दे रहे थे, एनआईए की जांच रोक दिया था। एसआईटी की जांच नहीं होने देना चाहते थे। न्यायिक जांच आयोग की जांच को रोकना चाहते थे।
‘जांच की बात पर क्यों घबराते हैं बीजेपी नेता’
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि जैसे ही झीरम घाटी कांड की जांच की बात आती है, पता नहीं क्यों भाजपा के बड़े-बड़े नेता घबराने लगते है, किसी न किसी प्रकार से वे इसकी जांच को बाधित करने में जुट जाते हैं, कभी बयानबाजी करते हैं, कभी आंदोलन करते हैं, कभी कोर्ट की शरण में जाते हैं, पीआईएल दायर करते हैं, यानी किसी भी प्रकार से भाजपा झीरम घाटी की जांच को होने ही नहीं देना चाहती है। भाजपा के नेता इस बात से डरते हैं कि झीरम घाटी कांड की जांच से ऐसा कोई सच निकलकर आ जायेगा जिससे तत्कालीन भाजपा सरकार के किसी कुत्सित चेहरे पर से नकाब उठा जायेगा? भाजपाई इस बात से डरते हैं कि उनके आका, तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की सरकार की नाकामी, उनके द्वारा कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा को सुरक्षा मुहैया करवाने में बरती गई घोर लापरवाही सामने आ जाएगी? भाजपा किस बात से डर रही है? क्या श्री धरमलाल कौशिक इस बात से डरते हैं कि इस नक्सली घटना के पीछे की किसी बड़ी साजिश का पर्दाफाश हो जायेगा जिसका प्रभाव इनकी पूरी पार्टी पर पड़ सकता है? आखिर किसे बचाने की कोशिश कर रहे हैं, भाजपा और भाजपा के लोग।