बुधवार रात करीब 11 बजे जाम खुलने के बाद पुलिस और प्रशासन ने गुरजीत कौर का रात में ही पोस्टमार्टम कराने की तैयारी कर ली थी। वीडियो कैमरे की निगरानी में रात तीन बजे दो डॉक्टरों के पैनल ने पोस्टमार्टम किया। अस्पताल से जुड़े सूत्रों ने बताया कि महिला की मौत गोली लगने से हुई, लेकिन उसके शरीर से आरपार होने की वजह से गोली पोस्टमार्टम के दौरान बरामद नहीं हुई।
महिला की मौत जिस गोली से हुई वह सरकारी असलहे से चली या निजी असलहे से फिलहाल इसका जवाब पुलिस के पास नहीं है। डीआईजी नीलेश आनंद भरणे से भी यह सवाल किया गया तो उन्होंने इसे विवेचना का हिस्सा बताते हुए जांच जारी होने की बात कही।
गोली ही इस केस में वह अहम कड़ी है जो बहुत हद तक यह साबित कर देगी कि गुरजीत कौर के परिजनों की बात सही है या यूपी पुलिस की, क्योंकि इस मामले में दोनों ही पक्षों के अलग-अलग दावे हैं। गुरजीत कौर पक्ष का कहना है कि पुलिस की गोली से उसकी मौत हुई जबकि यूपी पुलिस का कहना है कि उनके जवानों की गोली किसी महिला को नहीं लगी।
जानकार बताते हैं कि सरकारी असलहे और निजी असलहे की गोलियां भिन्न-भिन्न होती हैं। ऐसे में एक्सपर्ट से यह पता लगाना कोई बड़ी बात नहीं कि जिस गोली से महिला की मौत हुई वह सरकारी असलहे से चली या निजी असलहे से।
ज्येष्ठ उपप्रमुख गुरताज सिंह के जिस घर में उनकी पत्नी की हत्या हुई है, वहां पहले भी दो बार पुलिस से हाथापाई हो चुकी है। दोनों बार पुलिस को बैरंग लौटना पड़ा। हालांकि दोनों मामलों में पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की थी। पिछले 10 वर्षों से परिवार के किसी व्यक्ति के खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है। सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने के चलते गुरताज सिंह की क्षेत्र में खासी प्रतिष्ठा है। क्षेत्रवासी गुरजीत के निधन से काफी दुखी हैं।
वहीं, गुरजीत कौर को बृहस्पतिवार को नम आंखों से अंतिम विदाई दी गई। इस दौरान परिजन रोते-बिलखते रहे जबकि गांव वालों में आरोपियों के प्रति काफी गुस्सा नजर आया। मृतका के परिजनों ने डीआईजी नीलेश आनंद भरणे और एसएसपी मंजूनाथ टीसी से न्याय की गुहार लगाई है। परिजनों ने कहा कि हर हाल में उन लोगों को सजा मिले, जिन्होंने गुरजीत की हत्या की। सैकड़ों की संख्या में लोग गुरजीत के अंतिम संस्कार में शामिल हुए।